नई दिल्लीः सरकार की योजना नवंबर के चौथे सप्ताह में संसद का एक महीने का शीतकालीन सत्र आयोजित करने की है। अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, संसदीय कार्य मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि सत्र 22 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर को खत्म होगा। सत्र 15 नवंबर से शुरू करने का भी प्रस्ताव है।
एक सरकारी सूत्र ने बताया, ‘‘शीतकालीन सत्र कम से कम एक महीने का होगा। इसे एक महीने से ज्यादा लंबा रखने का भी सुझाव है।’’ हालांकि संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रालयों को अस्थायी विधायी एजेंडा भेजने के लिए कहा गया है, जिसे वे सत्र में आगे बढ़ाना चाहेंगे। इस एजेंडे में विभागीय स्थायी समितियों के विधेयक, एक सदन द्वारा पारित विधेयक और नए विधेयक शामिल हैं।
संसदीय कार्य मंत्रालय ने भी स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कोविड-19 प्रोटोकॉल पर चर्चा शुरू कर दी है। केंद्र के मानसून सत्र में अपनाए जाने वाले प्रोटोकॉल को जारी रखने की संभावना है। केंद्र ने संसद में पूरी तरह से टीका लगाने वाले सदस्यों के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण की आवश्यकता को समाप्त कर दिया था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों से बिना टीकाकरण वाले कर्मचारियों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने सांसदों की जांच की और पाया कि सभी सदस्यों का वैक्सीनेशन हो रखा है। मानसून सत्र के दौरान छूटे हुए लोगों को भी कवर किया गया है।’’
कोविड-19 के प्रकोप के बाद से यह चौथा सत्र होगा। महामारी के बाद पहला सत्र सितंबर 2020 में था। कई सदस्यों के वायरस से संक्रमित होने के बाद, सत्र में कटौती की गई और सरकार ने 2020 में शीतकालीन सत्र आयोजित करने का फैसला किया। बजट सत्र जनवरी में आयोजित किया गया था, लेकिन बढ़ते मामलों के कारण इसे रोक दिया गया था। मॉनसून सत्र कोविड-19 के बाद तीसरा सत्र था, लेकिन पेगासस स्पाइवेयर पर चर्चा की मांग सहित कई मुद्दों पर विपक्ष द्वारा बार-बार व्यवधान के कारण समय से पहले स्थगित कर दिया गया।