नए संसद भवन की पहली वर्षगांठ !

नई दिल्ली; 28 मई : आज भारत के भव्य नए संसद भवन के उद्घाटन की पहली वर्षगांठ है।
नए संसद भवन की गौरवशाली यात्रा पर विचार व्यक्त करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने कहा कि 19 सितंबर 2023 को विशेष सत्र के दौरान इसके पहले आधिकारिक उपयोग के बाद से, नया संसद भवन में गहन बहस, ऐतिहासिक कानूनों और सहयोगी प्रयासों का गवाह बना है । इस पहले सत्र के दौरान ही ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक 2023 (128वां संवैधानिक संशोधन विधेयक) या नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया गया। पुराने ब्रिटिश काल के कानूनों को भी चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया गया है और पिछले एक साल में उनकी जगह नए कानून पारित किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि आज जब नए संसद भवन की पहली वर्षगांठ मनाई जा रही है, देश के भविष्य को आकार देने में इसके महत्व को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है।उन्होंने आगे कहा कि यह न केवल एक वास्तुशिल्पीय चमत्कार के रूप में बल्कि लोकतंत्र की जीवंतता के प्रतीक के रूप में भी जाना जा रहा है – एक ऐसा स्थान जहां विचारों का आदान प्रदान होता है, कानून बनाए जाते हैं और लाखों लोगों की आवाज सुनी जाती है। श्री बिरला ने याद किया कि जी20 देशों के अध्यक्षों सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने नई इमारत का दौरा किया है और इसके आकर्षक डिजाइन और सुविधाओं की सराहना की है।

श्री बिरला ने आगे कहा कि केवल 2 वर्ष 7 महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ नया भवन, आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक और 140 करोड़ से अधिक भारतीयों की इच्छाओं और आकांक्षाओं की परिणति के रूप में उभरा है। 28 मई 2023 को प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया यह भारत के जीवंत लोकतंत्र के प्रमाण के रूप में खड़ा है। त्रिकोणीय आकार में डिज़ाइन की गई इस अत्याधुनिक इमारत में लोकसभा (निचला सदन) और राज्यसभा (उच्च सदन) दोनों हैं। उन्होंने कहा कि इसने ऐतिहासिक पुराने संसद भवन का स्थान ले लिया है, जिसका नाम अब संविधान सदन रखा गया है, जिसने लगभग एक शताब्दी तक भारत के शीर्ष विधायी निकाय के रूप में कार्य किया था।

नए भवन की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने याद दिलाया कि नए भवन की आवश्यकता पुराने ढांचे के साथ स्थिरता संबंधी चिंताओं और संसद की वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने में इसकी अपर्याप्तता के कारण उत्पन्न हुई। मूल भवन, हालांकि इतिहास में उत्कीर्ण था, फिर भी संसद सदस्यों और कर्मचारियों के लिए पर्याप्त जगह का अभाव था। कई संसद सदस्यों ने भी नए भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप एक नई इमारत की मांग उठाई थी। 64,500 वर्गमीटर के क्षेत्र को कवर करते हुए, नए भवन में लगभग 1,272 सदस्य बैठ सकते हैं, जिसमें लोकसभा में 888 सीटें और राज्यसभा में 384 सीटें हैं, जो पुरानी संरचना में लगभग 800 सीटों से एक महत्वपूर्ण वृद्धि है।

नए भवन के डिजाइन पर बोलते हुए, श्री बिरला ने प्रसन्नता व्यक्त की कि कि इमारत का डिजाइन सामंजस्यपूर्ण रूप से परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ता है, जो भविष्य की प्रगति को अपनाने के साथ-साथ भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करता है। नई इमारत में अत्याधुनिक हरित सुविधाओं को अपनाया गया है और साथ ही इसे भूकंप प्रतिरोधी (जोन 5) बनाया गया है। विविध लोगों की जरूरतों को पूरा करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, इमारत एक्सेसिबिलिटी के सिद्धांतों का पालन करती है और इसमें दिव्यांग व्यक्तियों के के लिए रैंप, लिफ्ट और अन्य सुविधाएं हैं। यह इमारत अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित है। श्री बिरला ने आगे कहा कि नई संसद अत्याधुनिक और अति-आधुनिक तकनीक से सुसज्जित है, जो सदस्यों के लिए उन्नत सुविधाएं और निर्बाध कार्यक्षमता सुनिश्चित करती है।