लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने असम विधान सभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन पर विधायकों को सम्बोधित किया

Lok Sabha Speaker Shri Om Birla addressing MLAs on the last day of the Winter Session of the Assam Legislative Assembly in Guwahati on 24 December 2021

गुवाहाटी: लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज असम विधान सभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन गुवाहाटी में विधायकों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर श्री बिरला ने असम के प्राकृतिक सौंदर्य, और सांस्कृतिक विविधता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत का लोक तंत्र प्राचीन काल से हमारे आचरण एवं विचारों में समाहित है और इसी कारण भारत को लोक तंत्र की जननी के रूप में पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है।

आज़ादी के अमृत महोत्सव के विषय में बोलते हुए श्री बिरला ने कहा कि देश की 75 वर्षों की यात्रा में भारत का लोकतंत्र निरंतर सशक्त और मजबूत हुआ है। जनप्रतिनिधियों से लोगों की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं भी बढ़ी हैं और इसलिए, जनप्रतिनिधियों के ऊपर जिम्मेदारी है कि वे शासन प्रणाली को अधिक सार्थक, सहभागितापूर्ण, पारदर्शी और समावेशी बनाएं तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता के प्रति और अधिक जवाबदेह बनाएं। श्री बिरला ने हाल में आयोजित पीठासीन अधिकारीयों के सम्मलेन का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी जन प्रतिनिधियों को आगे आने वाले भारत की आज़ादी के शताब्दी वर्ष की कार्ययोजना बनाने पर विचार करना होगा।

विधायिकाओं के कार्यकरण पर अपने विचार रखते हुए श्री बिरला ने कहा कि लोक तंत्र के मंदिर रुपी विधान सभाओं को कानून बनाते समय सदन में व्यापक चर्चा कर, जनता तथा विभिन्न स्टेकहोल्डर्स की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करते हुए जनता के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने का कार्य करना चाहिए। संसदीय समितियों के विषय में श्री बिरला ने कहा कि समितियां मिनी संसद के रूप में कार्य करती हैं जहाँ दल से ऊपर उठ कर कार्य होता है।

श्री बिरला ने लोकतांत्रिक आचरण पर अपने विचार साँझा करते हुए कहा कि लोकतंत्र वाद-विवाद और संवाद पर आधारित पद्धति है, किन्तु सदनों में निरंतर चर्चा-संवाद नहीं होना सभी जन प्रतिनिधियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। श्री बिरला ने कहा कि पक्ष-विपक्ष में मतभेद होना, सहमति-असहमति होना स्वाभाविक है, किन्तु असहमति गतिरोध में नहीं बदलनी चाहिए । उन्होंने आगे कहा कि कई बार व्यवधान अनायास नहीं होता, बल्कि नियोजित तरीके से किया जाता है और यह आचरण सभी के लिए चिंता का विषय है।

सदन को चर्चा और संवाद का केन्द्र बनाने पर ज़ोर देते हुए श्री बिरला ने कहा कि जनता कि अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पूरा करना जनप्रतिनिधियों का मूलभूत दायित्व होना चाहिए। श्री बिरला ने आगे कहा कि सदन को व्यवधान का नहीं चर्चा का केन्द्र बनना होगा और जन प्रतिनिधियों का दायित्व है की लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति जनता की आस्था और विश्वास को कायम रखें। इस अवसर पर श्री बिरला ने असम विधान सभा के ऐप की सराहना की और वन नेशन वन प्लेटफार्म की परिकल्पना की दिशा में इसे एक अच्छा कदम बताया।

इस अवसर पर असम विधानसभा के अध्यक्ष, श्री बिश्वजीत दैमारी; असम के मुख्यमंत्री, डॉक्टर हिमंता बिस्वा सरमा ; विधान सभा के उपाध्यक्ष, डॉक्टर नुमोल मोमिन; असम के मंत्रिगण; और असम विधान सभा के सदस्यगण उपस्थित थे।