शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन में दो एजेंडा मदों पर चर्चा होगी, अर्थात् (i) शताब्दी यात्रा – मूल्यांकन और भविष्य के लिए कार्य योजना; तथा (ii) संविधान, सभा और जनता के प्रति पीठासीन अधिकारियों की ज़िम्मेदारी ।
पहले विषय के अंतर्गत पिछले सौ वर्षों के दौरान अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की यात्रा पर प्रकाश डाला जाएगा। पिछली शताब्दी के दौरान, इस सम्मेलन में भारत के विधायी निकायों के कामकाज के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार किया गया जिनमें विधानमंडलों के सचिवालयों की स्वायत्तता, पीठासीन अधिकारियों की भूमिका, विधायी सचिवालयों की वित्तीय स्वायत्तता, दलबदल रोधी कानून, ई शासन, नियमों और प्रक्रियाओं में एकरूपता तथा अनुशासन और शालीनता शामिल हैं । पीठासीन अधिकारी विधायी निकायों के कामकाज को सुव्यवस्थित करने में सम्मेलन द्वारा की गई सिफारिशों के कार्यान्वयन और कारगरता पर विचार करेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो इनमें सुधारों के बारे में अपने विचार साझा करेंगे।
दूसरे विषय के अंतर्गत विधानमंडलों में कार्यवाही के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने में पीठासीन अधिकारियों की भूमिका और कर्तव्यों पर विचार किया जाएगा । चर्चा के दौरान, प्रतिनिधि पिछली शताब्दी के दौरान सम्मेलन द्वारा की गई विभिन्न सिफारिशों की समीक्षा करेंगे। इस सम्मेलन में सभा में सार्थक चर्चा के लिए पीठासीन अधिकारी को आवश्यक अधिदेश के साथ और अधिक अधिकारसमपन्न बनाने के तौर-तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा ।
लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला, राज्य सभा के उपसभापति, श्री हरिवंश और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, श्री जयराम ठाकुर उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे और विशिष्ट प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे। सम्मेलन का समापन सत्र गुरुवार, 18 नवंबर, 2021 को होगा ।
इससे पहले आज, हिमाचल प्रदेश विधान सभा में भारत के विधायी निकायों के सचिवों का 58वां सम्मेलन हुआ । इस एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के साइडलाइन पर किया गया ।
लोक सभा के महासचिव और भारत के विधायी निकायों के सचिवों के सम्मेलन के अध्यक्ष, श्री उत्पल कुमार सिंह ने प्रतिनिधियों को संबोधित किया। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री सिंह ने पिछले दो वर्षों में कोरोना महामारी से निपटने के लिए संसद द्वारा की गई पहलों के बारे में बताया। श्री सिंह ने प्रतिनिधियों को बताया कि लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला की पहल पर आधारभूत स्तर पर लोकतन्त्र को सुदृढ़ करने के लिए पूरे देश में पंचायती राज संस्थाओं /स्थानीय निकायों के लिए आउटरीच और परिचय कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं । उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष देश के विभिन्न भागों में पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए ऐसे चार कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। श्री सिंह ने इस बात का उल्लेख भी किया कि भारत की संसद के नए भवन के 2022 में संसद के शीतकालीन सत्र तक तैयार होने की आशा है।
भारत के विधायी निकायों के सचिवों के 58वें सम्मेलन में सदन में सार्थक वाद-विवाद और चर्चा के लिए सदस्यों के क्षमता निर्माण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। महामारी से पेश आई चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इस सम्मेलन में समिति की ऑनलाइन बैठकें : सभा की आवश्यकता, चुनौतियां और भावी कार्य योजना पर भी चर्चा हुई । इस एक दिवसीय सम्मेलन के दौरान एक समान प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई । सम्मेलन में देश भर के विधायी निकायों के कुल तेईस प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सम्मेलन को पहले राज्य सभा के महासचिव, श्री पी.सी. मोदी ने संबोधित किया । हिमाचल प्रदेश विधान सभा के सचिव, श्री यश पॉल शर्मा ने स्वागत भाषण दिया।
इस बीच, लोक सभा अध्यक्ष और अन्य प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेने के लिए शिमला पहुंच गए हैं।