संसदीय लोकतंत्र की गौरवशाली यात्रा के 75 साल पूरे होने पर देश में 75 कार्यक्रमों की योजना: लोकसभा अध्यक्ष

बेंगलुरु: कर्नाटक के दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला ने आज मीडिया से बातचीत की। इस अवसर पर कर्नाटक विधान सभा के अध्यक्ष, श्री विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी और लोक सभा के महासचिव श्री उत्पल कुमार सिंह भी उपस्थित थे।

श्री बिरला ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा है। श्री बिरला ने बताया कि संसदीय लोकतंत्र के गौरवशाली यात्रा के 75 वर्ष सम्पन्न होने के उपलक्ष्य में देश भर में 75 कार्यक्रम आयोजित किए जाने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा लक्ष्य पंचायत से लेकर संसद तक सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत, अधिक सशक्त और जवाबदेह बनाना है।

श्री बिरला ने यह भी बताया कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभी लोगों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभिन्न हितधारकों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

इस साल सौ वर्ष पूरे करने जा रही लोक लेखा समिति के शताब्दी वर्ष समारोह के बारे में जानकारी देते हुए श्री बिरला ने बताया कि 4-5 दिसंबर को नई दिल्ली में एक सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में भारत के साथ-साथ अन्य लोकतांत्रिक देशों के जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है।

श्री बिरला ने संसद ग्रंथालय के बारे में बताते हुए कहा कि इस वर्ष लाइब्रेरी के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं । उन्होंने यह भी कहा कि संसद पुस्तकालय ज्ञान और जानकारी का समृद्ध भंडार है जहां बड़ी संख्या में दुर्लभ पुस्तकें और दस्तावेज उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इस ग्रंथालय के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया अभी चल रही है। श्री बिरला ने यह भी कहा कि बहुत जल्द संसद ग्रंथालय राज्य विधान सभाओं के सदस्यों को इस डिजिटल पुस्तकालय की सुविधा प्रदान करने के लिए उपयुक्त मेटाडेटा तैयार कर रहा है।

श्री बिरला ने यह टिप्पणी की कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की सुविधा प्रदान करने के लिए सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं का सुचारू और व्यवस्थित संचालन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक मुद्दों पर गहन चर्चा और संवाद की जरूरत है ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा सके।

श्री बिरला ने कहा कि निर्वाचित विधायी निकायों को लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कार्यपालिका पर प्रभावी रूप से नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। श्री बिरला ने आगे कहा कि यह एसओपी देश भर के सभी लोकतांत्रिक संस्थानों को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह एसओपी एक एडवाइजरी के रूप में होगा, जिसे विधायी निकायों की आवश्यकताओं के अनुसार अपनाया जा सकता है।

श्री बिरला ने पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के बारे में भी बताया। 15 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के समान पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के भी एक सौ वर्ष पूरे हो चुके हैं । इस साल संसद टीवी भी उसी दिन आज़ादी का अमृत महोत्सव के भाग के रूप में शुरू किया गया था।

श्री बिरला ने विधानमंडलों में अनुशासन, मर्यादा और शालीनता के कम होते स्तर पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस तरह की अव्यवस्था से न केवल इन संस्थानों की गरिमा कम होती है , बल्कि लोकतंत्र में लोगों की आस्था को भी ठेस पहुँचती है । उन्होंने बताया कि जल्द ही इस विषय पर पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में चर्चा की जाएगी और इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री और अन्य हितधारक भी भाग लेंगे ।

श्री बिरला ने कहा कि सदन की कार्यवाही अनुशासन और गरिमा के साथ ही आम लोगों की भावनाओं के अनुरूप होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में संसदीय लोकतंत्र की प्रभावकारिता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की जाएगी। अध्यक्षपीठ के अनादर के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि अध्यक्षपीठ सभा के सभी हितधारकों की संरक्षक है और इसकी गरिमा को बनाए रखा जाना चाहिए।

निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री बिरला ने बताया कि संसद की संस्था, संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) के माध्यम से पंचायत से लेकर संसद तक के सभी जनप्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइड ने विश्व स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अन्य लोकतांत्रिक देशों के प्रतिनिधियों को भी प्रशिक्षित किया है।

श्री बिरला ने बताया कि संसद देश भर में पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तीकरण के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है ताकि जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस पहल के अंतर्गत, पंचायत राज प्रतिनिधियों को सशक्त बनाने के लिए एक विशेष आउटरीच कार्यक्रम तैयार किया गया है। अब तक देश के विभिन्न भागों में ऐसे आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।

देश के विभिन्न भागों में दलबदल विरोधी कानून के अंतर्गत लंबित याचिकाओं पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, श्री बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के मंच से इसके लिए एक समिति का गठन किया था। उन्होंने बताया कि इस समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी है और अगले महीने शिमला में आयोजित किए जा रहे पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में इस रिपोर्ट की सिफारिशों पर चर्चा होने की संभावना है।

मीडिया से लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से काम करने का आग्रह करते हुए श्री बिरला ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभा की कार्यवाही को सकारात्मक तरीके से और लोगों के व्यापक हित में कवर किया जाना चाहिए।